खिल जाऊं तो बाहार हूँ
मुरझाउ तो बुखार हूँ

पहली बारिश का करार भी मैं
गर बरस जाऊ तो खुमार हूँ

साथ हूँ जैसे मरहम लेकिन
पल्ले पड़ जाऊं तो हतियार हूँ

कई सारो में एक हूँ मैं
और एक ही में मैं हज़ार हूँ

निभा लिए औरत होने के बोहोत रंग
अब उड़ने को मैं तैयार हूँ

by chhavidoonga

6 thoughts on “I am ready/ तैयार”
  1. I loved the fourth stanza. It could be so easily turned into a protest song.

    Look for Rahul Ram’s TED talk on history of protest music. You’ll like it.

  2. Hi,
    Turam shared your blog link.
    Achchhi nazm hai… par Hindi ki vartani thodi sudridh karni hogi… either it might be a fault of the Hindi converter but it needs to be looked at.

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